अनलजीत सिंह

Analjit Singh Biography in Hindi

जन्म : 11 जनवरी, 1954 (दिल्ली), भारत

वर्तमान: ‘मैक्स इंडिया लिमिटेड’ के संस्थापक और अध्यक्ष

कार्यक्षेत्र : हेल्थकेयर, लाइफ इंश्योरेंस और विदेशों में हॉस्पिटैलिटी का व्यवसाय

अनलजीत सिंह आधुनिक भारतीय व्यवसाय जगत के एक आत्म प्रेरित, अपने व्यवसाय के प्रति समर्पित और कड़ी मेहनत करने वाले उद्यमियों में से एक हैं. ये बहुत से नए उद्यमियों के लिए प्रेरणा के श्रोत भी हैं.

अनलजीत मैक्स इंडिया, मैक्स न्यूयार्क लाइफ इंश्योरेंस लिमिटेड, मैक्स हेल्थकेयर और मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष भी हैं. 1980 के दशक के मध्य के बाद ‘मैक्स इंडिया समूह’ के निरंतर विकास और सफलता के पीछे इनका कुशल नेतृत्व ही है. इसके अतिरिक्त ये कई प्रसिद्ध भारतीय कंपनियों जैसे- वोडाफोन-एस्सार, टाटा टी, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक और हीरो होंडा मोटर्स के बोर्ड पर भी हैं. इनका हॉस्पिटैलिटी व्यवसाय दक्षिण अफ्रीका में भी फैला हुआ है.

अनलजीत सिंह
स्रोत: www.forbes.com

अपने व्यापार विशेषज्ञता के बल पर इन्होंने लगातार बदलते वैश्विक व्यापार के रुझान के अनुरूप अपने को स्थापित किया और अपने व्यवसाय को शीर्ष स्थान पर लाकर खड़ा किया. परिणाम स्वरुप आजकल अनलजीत सिंह भारतीय प्रधानमंत्री के संयुक्त भारत-अमेरिका सीईओ फोरम के सदस्य भी हैं. इसके अतिरिक्त ये कई देशी-विदेशी संस्थाओं और प्रतिष्ठानों के प्रतिष्ठित पदों पर आसीन हैं.

प्रारम्भिक जीवन                          

अनलजीत का जन्म भारत की राजधानी, नई दिल्ली में 11 जनवरी, 1954 को एक व्यावसायिक परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम भाई मोहन सिंह है. ये परविंदर और मंजीत नामक दो भाईयों के साथ पले-बढ़े थे. ये अपने भाइयों में सबसे छोटे हैं. इनकी प्रारंभिक शिक्षा दून स्कूल, देहरादून से हुई और उसके बाद वाणिज्य में स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (SRCC) में दाखिला लिया. इसके पश्चात्  इन्होंने प्रबंधन में उच्च-शिक्षा (एमबीए) प्राप्त करने के लिए बोस्टन विश्वविद्यालय, अमेरिका में दाखिला लिया.

नए व्यवसाय का प्रारम्भ

अनलजीत अपनी एमबीए की शिक्षा पूरा करने के बाद अमेरिका से भारत लौट आए और वर्ष 1986 में ये अपने पिता के पारिवारिक दवा कंपनी ‘रैनबैक्सी लैबोरेटरीज’ के व्यवसाय में सहयोग करने लगे. हालांकि ‘रैनबैक्सी’ में कम काम होने के कारण परिवार में हमेशा विवाद बना रहता था. परिणामस्वरूप अपने पिता से मतभेदों को समाप्त करने के लिए इन्होंने वर्ष 1989 में व्यवसाय का विभाजन कर लिया. इनके बड़े भाई परविंदर को ‘रैनबैक्सी लैबोरेटरीज’ दी गई और व्यापार की अचल संपत्ति दोनों छोटे भाइयों मंजीत एवं अनलजीत सिंह को प्राप्त हुई. इनके हिस्से में दिल्ली स्थित ओखला में एक ऐसा कारखाना आया जो लगभग बंद पड़ा था. इन्होंने कारखाने के कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना की पेशकश की और उनका भुगतान किया.

वर्ष 1992 में इन्होंने हचिसन टेलीकम्युनिकेशंस, हांगकांग, के साथ मिलकर मुंबई में सेलुलर और रेडियो पेजिंग की सेवाओं की शुरुआत की, जिसमें इन्होंने बहुत ही परिश्रम से काम किया. परिणामत: 6 वर्षों के छोटे से समय में वर्ष 1998 में इनकी कंपनी को 1,368 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ. इसी वर्ष इनका हचिसन के साथ लाइसेंस शुल्क को लेकर कुछ विवाद हुआ और इन्होंने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी का 41% भाग हचिसन और कोटक महिंद्रा समूह को बेच दिया. लेकिन इनका महत्वाकांक्षी व्यक्तित्व इस उपलब्धि से अभी संतुष्ट नहीं हुआ और ये अपने दूरसंचार के कारोबार का विस्तार करने के लिए और प्रयत्नशील हुए, परन्तु रुपयों के विवाद के चलते कंपनी को बंद करने के अलावा इनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था.

‘मैक्स इंडिया लिमिटेड’ की स्थापना, हेल्थकेयर तथा लाइफ इंश्योरेंस के क्षेत्र में व्यवसाय

इसके बाद वर्ष 1999 में इन्होंने जीवन बीमा और स्वास्थ्य सेवा के व्यवसाय के क्षेत्र में अपना कदम रखा, यहां इन्हें इस क्षेत्र में एक ऐसा खजाना मिल गया, जिसका इन्होंने कभी अनुमान ही नहीं किया था. वर्ष 2000 में इन्होंने ‘मैक्स न्यूयॉर्क लाइफ इंश्योरेंस’ की स्थापना की. नए व्यवसाय को बढ़ाने के लिए इन्होंने प्रारंभिक वर्षों के दौरान अपने पिछली कंपनी की पूंजी को धीरे-धीरे लाभदायक कीमत पर बेच दिया. इन्होंने ‘मैक्स इंडिया लिमिटेड’ कंपनी को अपने दृढ़ विश्वास और कुशल व्यापारिक रणनीति के साथ संचालित करने के लिए भरोसेमंद दृष्टिकोण को अपनाया, इसमें सफलता भी मिली. इसके बाद अनलजीत सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य करना प्रारंभ किया और आज वे मोहाली (पंजाब) में स्थित ‘इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस’ के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं.

वर्ष 2008 में इन्होनें लंदन की कंपनी ‘बूपा वित्त पीएलसी’ के सहयोग से ‘स्वास्थ्य बीमा योजना’ के क्षेत्र में कार्य करना प्रारम्भ किया. ‘मैक्स इंडिया समूह’ का देश के 275 से अधिक स्थानों पर 440 से अधिक कार्यालय हैं, जिनमें 75,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

दक्षिण अफ्रीका में हॉस्पिटैलिटी का व्यवसाय

इन्होंने दक्षिण अफ्रीका के दस्सेनेर्ग की खुबसूरत वादियों में लगभग 40 हेक्टेयर का फार्म हाउस भी विकसित किया है. इस फार्म हाउस को खरीदने से पहले ही ये मुल्लयूक्स और लीलू फेमिली के वाइन के व्यवसाय में शेयर होल्डर बन चुके थे, जो अवार्ड विनर वाइन कंपनी है. अनलजीत सिंह पहले ऐसे भारतीय हैं, जिन्होंने वाइन और हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में दक्षिण अफ्रीका में अपनी पूंजी लगाई है.

इन्होंने लीलू कलेक्शन के अंतर्गत ‘लीलू एस्टेट’ के नाम से दक्षिण अफ्रीका में हॉस्पिटैलिटी का व्यवसाय शुरू किया है, जिसमें 20 कमरों वाला एक पांच सितारा हाउस, लीलू हाउस और 13 कमरों का बुटीक होटल भी है.

समाज-सेवा के क्षेत्र में कार्य

इन वर्षों में अनलजीत सिंह की पहचान न केवल एक कुशल और गतिशील व्यवसायी के रूप में हुई बल्कि वे समाज-सेवा के क्षेत्र में भी अपना योगदान देते रहे हैं. इन्होंने ‘मैक्स इंडिया फाउंडेशन’ (MIF) की स्थापना की और उसके सक्रिय अध्यक्ष के रूप में आज भी कार्य कर रहे हैं. वर्तमान में यह फाउंडेशन ‘एसओएस बाल ग्राम’, ‘मानव सेवा सन्निधि’ और ‘चिन्मय मिशन’ जैसे कई अन्य गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर समाज-सेवा के क्षेत्र में सक्रिय योगदान दे रहा है.

पुरस्कार एवं सम्मान

इनके व्यवसाय के प्रति कार्यकुशलता, राजनीतिक जागरूकता, समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान के कारण कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने इन्हें पुरस्कृत और सम्मानित किया है. ये प्रधानमंत्री के संयुक्त भारत-अमेरिका सीईओ फोरम के एक सदस्य हैं. इन्हें अमेरिकी सीनेटर हिलेरी क्लिंटन द्वारा ‘वैश्विक समुदाय को आधुनिक प्रगतिशील भारत को समझने में मदद करने के लिए’ इनके उत्कृष्ट योगदान से प्रेरित होकर ‘भारतीय अमेरिकी केंद्र’ (IACPA) ने सम्मानित किया है. अनलजीत सिंह भारत में सैन मैरिनो गणराज्य के महावाणिज्य दूत (मानद) हैं. ये भारत के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज आईआईटी रूड़की के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन भी रह चुके हैं. इन्हें वर्ष 1911 में भारत सरकार के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से भी सम्मानित किया जा चुका है.