अमर बोस

Amar Bose Biography in Hindi

जन्म: 2 नवम्बर 1929, फिलाडेल्फिया, पेनसिलवेनिया

मृत्यु: 12 जुलाई 2013, वेलैंड, मस्साचुसेट्ट्स, अमेरिका

कार्यक्षेत्र: उपक्रमी, विश्व प्रसिद्ध बोस कारपोरेशन के संस्थापक

अमर गोपाल बोस भारतीय मूल के अमेरिकी शिक्षक, विद्युत अभियंता, उपक्रमी और विश्व प्रसिद्ध बोस कार्पोरशन के संस्थापक थे। एक विद्युत और ध्वनि अभियंता, अमर बोस विश्व प्रसिद्ध संस्थान मस्साचुसेट्ट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में 45 साल तक प्रोफेसर रहे। सन 2011 में उन्होंने अपनी कंपनी बोस कारपोरेशन का एक बड़ा अंश मस्साचुसेट्ट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी को दान में दे दिया। उन्होंने अपने अविष्कारों से संगीत की दुनिया बदल डाली। धीरे-धीरे उनकी कंपनी के बनाये स्पीकरों ने स्टीरियो स्पीकर बाज़ार में नए आयाम स्थापित किये और लोगों को ऐसी ध्वनि दी जो उससे पहले के स्टीरियो स्पीकर्स में मौजूद नहीं थी। अपने ध्वनि अनुसन्धान के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पेटेंट्स भी अर्जित किये।

अमर बोस
स्रोत: newseastwest.com

प्रारंभिक जीवन

अमर गोपाल बोस का जन्म 2 नवम्बर 1929 को अमेरिका के फिलाडेल्फिया में हुआ था। उनके पिता नोनी गोपाल बोस एक बंगाली भारतीय स्वाधीनता सेनानी थे और अंग्रेजों से बचकर अमेरिका चले गए थे। उनकी माता शेर्लोट फ्रेंच और जर्मन मूल की अमेरिकी थीं। वे पेशे से एक शिक्षिका थीं। अमर बोस के अनुसार उनकी माता उनसे ज्यादा बंगाली थीं। वे शाकाहारी थीं और ‘वेदांत’ और ‘हिन्दू दर्शन’ में रूचि रखती थीं।

अमर ने बचपन से ही उद्यमशीलता में रूचि दिखाई थी। उन्होंने पेनसिलवेनिया के ‘अबिंगटन सीनियर हाई स्कूल’ में पढ़ाई की और उसके पश्चात मस्साचुसेट्ट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में दाखिला ले लिया। वहां से उन्होंने 1950 के दशक के शुरुआत में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विषय में बी.एस. पास किया। इसके पश्चात इउन्होने लगभग 1 साल नेदरलैंड्स में ‘एन.वी. फिलिप्स इलेक्ट्रोनिक्स’ के लैब में कार्य किया और फिर फुलब्राइट छात्रवृत्ति पर भारत में कार्य किया, जहाँ उनकी मुलाकात उनकी होनेवाली पत्नी से हुई। उन्होंने नोर्बेर्ट वीनर और युक-विंग-ली के मार्गदर्शन में मस्साचुसेट्ट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से ही अपनी पी.एच.डी. भी पूरी की।

करियर

स्नातक करने के बाद अमर गोपाल बोस मस्साचुसेट्ट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हो गए। प्रोफेसर बनने के शुरुआती सालों में अमर ने एक उच्च-दर्जे का स्टीरियो स्पीकर सिस्टम खरीदा। उन्होंने जब उसे बजाया तो उन्हें बहुत निराशा हुई –उच्च तकनीक क्षमताओं के बावजूद यह स्टीरियो ‘लाइव परफॉरमेंस’ का प्रभाव नहीं दे पाया। इस घटना ने उन्हें ‘स्टीरियो टेक्नोलॉजी’ के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने उस समय के उच्च तकनीक क्षमताओं वाले स्टीरियो स्पीकर्स का अध्ययन कर उनमे मौजूद खामियों को समझा। ‘एकॉस्टिक्स’ के क्षेत्र में उनके अनुसन्धान ने उन्हें एक ऐसे ‘स्टीरियो लाउडस्पीकर’ की खोज में मदद की जो घर के वातावरण में ही एक सभागार जैसी ध्वनि उत्पन्न कर सकता था। इस प्रकार उनका ध्यान ‘साइकोएकॉस्टिक्स’ पर केन्द्रित हुआ जो आगे चलकर उनकी कंपनी के उत्पादों की विशिष्टता बना।

सन 1964 में उन्हें अपनी कंपनी के लिए शुरूआती पूँजी की जरुरत हुई जिसके लिए उन्होंने अपने पूर्व प्रोफेसर डॉ युक-विंग-ली की मदद ली। इसके बाद बोस को कई महत्वपूर्ण पेटेंट्स प्रदान किये गए जो आज भी बोस कारपोरेशन के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये सारे पेटेंट्स ‘लाउडस्पीकर डिजाईन, नॉन-लीनियर, टू-स्टेट-मोडयूलेटेड, क्लास-डी पॉवर प्रोसेसिंग के क्षेत्र से सम्बंधित थे।

आज के समय में बोस कारपोरेशन दुनियाभर में लगभग 9000 लोगों को रोज़गार प्रदान करता है और घरों, कारों और प्रोफेशनल ऑडियो के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाता है। इसके साथ-साथ यह एकॉस्टिक्स और उससे सम्बंधित क्षेत्र में आधारभूत अनुसन्धान भी करता है। अमर बोस ने अपनी कंपनी को कभी भी ‘सार्वजनिक’ नहीं किया यही कारण था कि कि वो लम्बे समय तक जोखिम भरे अनुसन्धान कर पाए। सन 2004 में उन्होंने ‘पॉपुलर साइंस’ पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में कहा था “अगर मैं एम.बी.ए. किये हुए लोगों द्वारा चलाये जानी वाली कंपनी में कार्य करता तो शायद सैकड़ों बार निकाला जा चुका होता; मैंने यह व्यवसाय पैसा बनाने के लिए नहीं किया था बल्कि इसलिए कि ऐसी मजेदार चीज़ें की जा सके जो पहले नहीं हुई हों।”

1980 के दशक में बोस कारपोरेशन ने एक ऐसा उत्पाद बनाया जिसने वाहन उद्योग में उपयोग होने वाले ‘शॉक एब्जोर्बर्स’ को प्रतिस्थापित कर दिया। इस महत्वपूर्ण खोज ने वाहनों के ‘सस्पेंशन प्रणाली’ के कार्य-सम्पादन को और उत्तम बना दिया।

अमर बोस कहा करते थे कि उनके मन में सबसे अच्छे और कारगर विचार एकाएक ही आते थे और किसी तर्कसंगत सोच के कारण नहीं।

सन 2007 में फोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूचि में 271वें स्थान पर रखा। सन 2009 में वे फ़ोर्ब्स के ‘अरबपति’ सूचि से बाहर हो गए पर सन 2011 में लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ इस सूचि में वापस आ गए।

निजी जीवन

अमर गोपाल बोस ने प्रेमा बोस से विवाह किया और उनकी दो संताने हुईं – वनु और माया। बाद में अमर और प्रेमा अलग हो गए। वनु बोस एक कंपनी ‘वनु’ के संस्थापक और सी.इ.ओ. हैं।

मृत्यु

अमर गोपाल बोस 12 जुलाई 2013 को वेलैंड (मस्साचुसेट्ट्स) में इस संसार से विदा हो गए।

अमर गोपाल बोस की विरासत

अपनी कंपनी बोस कारपोरेशन चलाने के साथ-साथ अमर बोस सन 2001 तक एम.आई.टी. में प्रोफेसर रहे और अध्यापन कार्य किया। सन 1963-64 में उन्हें ‘बेकर अवार्ड फॉर टीचिंग’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा भी उन्हें कई सारे शैक्षिक सम्मान दिए गए। एम.आई.टी. स्कूल ऑफ़ इंजिनीरिंग में उनके उत्कृष्ट शिक्षण के लिए उनके सम्मान में ‘द बोस अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन टीचिंग (1989)’ और बाद में ‘जूनियर बोस अवार्ड’ स्थापित किये गए।

सन 2011 में अमर बोस ने अपनी कंपनी के अधिकांश नॉन-वोटिंग शेयर्स एम.आई.टी. को दान कर दिए। चूँकि ये शेयर्स नॉन-वोटिंग हैं इसलिए एम.आई.टी. बोस कारपोरेशन के संचालन में हिस्सा नहीं ले सकती।

सम्मान और पुरस्कार

  • सन 1972 में आई.इ.इ.इ. ने लाउडस्पीकर डिजाईन, टू-स्टेट एम्पलीफायर-मोड्यूलेटर्स और नॉन-लीनियर सिस्टम्स के विकास में योगदान के लिए फ़ेलोशिप प्रदान किया
  • सन 1985 में ऑडियो इंजीनियरिंग सोसाइटी ने उन्हें मानद सदस्यता प्रदान की
  • सन 2010 में आई.इ.इ.इ. ने ‘वोल्फसन जेम्स क्लर्क मैक्सवेल अवार्ड’ से सम्मानित किया
  • सन 2011 में एम.आई.टी.150 लिस्ट (150 इन्नोवेटर्स एंड आइडियाज फ्रॉम एम.आई.टी.) में उन्हें 9वां स्थान दिया गया
  • सन 2014 में उन्हें ‘बेरिलियम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ दिया गया
  • द एशियन अवार्ड्स 2015 में ‘फाउंडर्स अवार्ड’ दिया गया