डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi

जन्म: 5 सितंबर, 1888

मृत्यु: 17 अप्रैल, 195

पद: भारत के दूसरे राष्ट्रपति (1962- 1967)

डॉ राधाकृष्‍णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे (1962- 1967) राष्‍ट्रपति थे। मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अध्‍यापन का कार्य शुरू करने वाले राधाकृष्‍णन आगे चलकर मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हुए और फिर देश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। 1939 से लेकर 1948 तक वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बी. एच. यू.) के कुलपति भी रहे। वे एक दर्शनशास्त्री, भारतीय संस्कृति के संवाहक और आस्थावान हिंदू विचारक थे। इस मशहूर शिक्षक के सम्मान में उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण्न
स्रोत: White House

प्रारंभिक जीवन

सर्वपल्ली राधाकृप्णन का जन्म मद्रास के तिरुत्तिन में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता गरीब थे इसलिए सर्वपल्ली राधाकृप्णन की शिक्षा छात्रवृत्ति के सहारे ही हुई। उन्होंने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने 1904 में कला संकाय की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उन्होंने स्नातक और स्नाकोत्तर में दर्शनशास्त्र को प्रमुख विषय के रूप में चुना। उन्हें मनोविज्ञान, इतिहास और गणित विषय में उच्च अंकों के साथ ओनर्स प्राप्त हुआ। इसके अलावा क्रिश्चियन कॉलेज मद्रास ने उन्हें छात्रवृत्ति भी दी।

शिक्षण

दर्शनशास्त्र में एम.ए. करने के पश्चात् 1909 में वे मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए। कॉलेज में उन्होंने पौराणिक गाथा जैसे उपनिषद, भगवत् गीता, ब्रहमसूत्र और रामनुजा महादेवा आदि पर विशेषज्ञता हासिल की थी। उन्होंने इस दौरान खुद को बु़द्ध, जैन शास्त्र और पाश्चातय विचारक प्लेटो, पलाटिन्स और बर्गसन में अभयस्त रखा। 1918 में मैसूर विश्वविद्यालय में उनको दर्शनशास्त्र का प्राध्यापक चुना गया। 1921 में राधाकृष्णन को कलकत्ता विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र का प्राध्यापक मनोनीत किया गया। 1923 में डॉक्टर राधाकृष्णन की किताब ‘भारतीय दर्शनशास्त्र’ प्रकाशित हुयी। इस पुस्तक को सर्वश्रेष्ठ दर्शनशास्त्र साहित्य की ख्याति मिली। सर्वपल्ली को ऑक्सफोर्ड यूनिवसिर्टी में हिंदू दर्शनशास्त्र पर भाषण देने के लिए बुलाया गया। उन्होंने अपने भाषण को आजादी की मुहिम तेज करने के लिए भी इस्तेमाल किया। वर्ष 1931 में सर्वपल्ली ने आंध्र विश्वविद्यालय में कुलपति के पद का चुनाव लड़ा। वे 1939 में बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के कुलपति बने और सन 1948 तक इस पद पर बने रहे।

राजनैतिक जीवन

भारत की आजादी के बाद यूनिस्को में उन्होंने देश का प्रतिनिदितिव किया। 1949 से लेकर 1952 तक राधाकृष्णन सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे। वर्ष 1952 में उन्हें देश का पहला उपराष्ट्रपति बनाया गया। सन 1954 में उन्हें भारत रत्न देकर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात 1962 में उन्हें देश का दूसरा राष्ट्रपति चुना गया। जब वे राष्ट्रपति पद पर आसीन थे उस वक्त भारत का चीन और पाकिस्तान से युध्द भी हुआ। वे 1967में राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हुए और मद्रास जाकर बस गये।