करसनभाई पटेल

Karsanbhai Patel Biography in Hindi

जन्म: 13 अप्रैल, 1944, मेहसाना, गुजरात

कार्यक्षेत्र: उद्योगपति, निरमा समूह के संस्थापक

करसनभाई पटेल एक भारतीय उद्योगपति और निरमा समूह के संस्थापक हैं। निरमा समूह सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, डिटर्जेंट, नमक, सोडा ऐश, प्रयोगशाला और चिकित्सकीय इंजेक्टिबल्स आदि का विनिर्माण करता है। सन 1969 में एक छोटे से कमरे से शुरू किया गया निरमा पाउडर का व्यवसाय डॉ पटेल की लगन और कड़ी मेहनत से फलता-फूलता गया और आज वे भारत के सबसे धनी व्यक्तियों की सूचि में स्थान रखते हैं। उन्होंने यह व्यवसाय अपनी नौकरी के साथ-साथ किया – कार्यालय जाते समय वे इसकी बिक्री करते थे और शाम को वापस आकर वे डिटर्जेंट का निर्माण और पैकिंग करते थे। एक आंकड़े के अनुसार सन 2004 निरमा में कुल 15000 से अधिक कर्मचारी थे और 3550 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार!

करसनभाई पटेल
स्रोत:www.emptyengine.com

प्रारंभिक जीवन

करसनभाई पटेल का जन्म 13 अप्रैल 1944 को गुजरात के मेहसाना में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मेहसाना के स्थानीय स्कूल में हुई और 21 साल की उम्र में उन्होंने राशन शाष्त्र विषय के साथ बी.एस.सी की पढ़ाई पूरी की और एक प्रयोगशाला सहायक (पहले लालभाई समूह के अहमदाबाद स्थित न्यू कॉटन मिल्स में और फिर गुजरात सरकार के खनन और भूविज्ञान विभाग में) के तौर पर नौकरी करने लगे।

निरमा की शुरुआत

सन 1969 में उन्होंने अपने घर के पिछवाड़े में निरमा (उनकी बेटी के नाम पर) डिटर्जेंट का निर्माण कर उसे खुद ही अपनी साइकिल पर घूम-घूम कर बेचना प्रारंभ किया। यह कार्य वो दफ्तर से आने के बाद शाम में करते थे और अगले दिन सुबह दफ्तर जाते वक़्त 15-20 पैकेट साइकिल पर बेचते थे। उन्होंने इस डिटर्जेंट पाउडर की कीमत मात्र 3 रुपये रखा जो और पाउडरों के मुकाबले लगभग ¼ था। लोगों को सस्ता पाउडर जाँच गया और देखते-देखते निरमा पाउडर सफल हो गया। लगभग तीन साल बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अहमदाबाद के पास एक छोटी फैक्ट्री लगा ली। बड़े कम समय में निरमा ब्रांड गुजरात और महाराष्ट्र में स्थापित हो गया।

बेहतर गुणवत्ता और कम कीमत ने निरमा डिटर्जेंट पाउडर को हर गृहणी का पसंदीदा पाउडर बना दिया। इसके बाद करसनभाई ने रेडियो और टेलीविज़न पर प्रचार के माध्यम से इसे देश के घर-घर में पहुंचा दिया। निरमा ने डिटर्जेंट बाज़ार में एक क्रान्ति ला दी और इसके साथ ही एक नए सेगमेंट की स्थापना भी कर दी। उस समय डिटर्जेंट और साबुन के बाज़ार पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे हिंदुस्तान लीवर (जो सर्फ पाउडर 13 रुपये/किलो के भाव पर बेचते थे) का प्रभुत्व और दबदबा था पर करसनभाई पटेल ने अपनी सूझ-बूझ से दस साल के अन्दर ही निरमा को सबसे ज्यादा बिकने वाला डिटर्जेंट पाउडर बना दिया। इस प्रकार निरमा ब्रांड कम कीमतवाले डिटर्जेंट और टॉयलेट साबुन के लिए लगभग एक पर्यायवाची नाम बन गया।

सन 2004 आते–आते निरमा ने लगभग 14000 लोगों को रोज़गार दे दिया था।

सस्ते डिटर्जेंट बाज़ार में अपना पैर जमाने के बाद निरमा ने महसूस किया कि उच्च आयवर्ग को ध्यान में रखते हुए नए उत्पादों को लांच करना जरुरी है ताकि कंपनी मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के साथ-साथ ऊपरी आय वर्ग में भी अपनी जगह बना सके। इस दृष्टि से निरमा ने प्रीमियम क्षेत्र में प्रवेश किया जिसके अंतर्गत निरमा ने ‘निरमा बाथ’, ‘निरमा ब्यूटी सोप’ और प्रीमियम पाउडर ‘सुपर निरमा डिटर्जेंट’ जैसे उत्पादों को बाज़ार में उतारा। निरमा ने शैम्पू और टूथपेस्ट के क्षेत्र में भी पाँव पसारने की कोशिश की पर आशातीत सफलता नहीं मिली। निरमा ने ‘शुद्ध’ नाम से खाने का नमक भी बाज़ार में उतारा जो सफल रहा।

साबुन बाज़ार में निरमा की लगभग 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि डिटर्जेंट पाउडर के क्षेत्र में लगभग 35 प्रतिशत बाज़ार निरमा के कब्ज़े में है।

शिक्षा के क्षेत्र में

सन 1995 में करसनभाई पटेल ने अहमदाबाद में ‘निरमा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की। इसके बाद एक प्रबंधन संस्थान की भी स्थापना की गयी। बाद में दोनों संस्थान ‘निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ के अंतर्गत आ गए। इन संस्थानों को ‘निरमा एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन’ द्वारा संचालित किया जाता है।

सन 2004 में ‘निरमालैब्स’ की भी स्थापना की गयी।

सन 1990 के दशक से निरमा एक ऐसा उपभोक्ता ब्रांड बन गया जो डिटर्जेंट, साबुन, और व्यक्तिगत देखभाल के उत्पादों के बाज़ार में स्थापित हो गया था। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात थी कम कीमत पर भी अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद। साबुन और डिटर्जेंट बाजार में अन्य बड़े और प्रतिस्पर्धी ब्रांडों के होते हुए भी निरमा की सफलता का श्रेय इसके वितरण की पहुंच और बाजार में इसकी पैठ के कारण संभव हो सका था। आज निरमा के नेटवर्क में लगभग 400 वितरक और 2 लाख से अधिक खुदरा दुकानें शामिल हैं। इस विशाल नेटवर्क के कारण निरमा अपने उत्पादों को छोटे छोटे गांवों तक उपलब्ध कराने में सक्षम हो सका है।

अपने आपको देश में स्थापित करने के बाद करसनभाई पटेल ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अपने कदम बढ़ाये और बांग्लादेश में एक संयुक्त उद्यम स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने चीन, अफ़्रीका और बाकी एशियन देशों की तरफ भी रुख किया। सन 2007 में उन्होंने अमेरिकी कच्चे माल की कंपनी ‘सीर्लेस वैली मिनरल्स इंक’ का अधिग्रहण कर लिया और दुनिया के शीर्ष सोडा ऐश निर्माताओं में शामिल हो गए।

निरमा देश के उन कुछ चुनिन्दा ब्रांडों में से है जिन्हें एक पूर्ण भारतीय ब्रांड की तरह पहचाना जाता है। निरमा ने करसनभाई पटेल के नेतृत्व में स्थापित और शक्तिशाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर विजय हासिल की और अपने अनूठे विपणन माध्यमों और तरीकों से उपभोक्ताओं का दिल जीता।

पुरस्कार और सम्मान

निरमा की इस अपार सफलता के पीछे करसन भाई पटेल का हाथ रहा है। देश की अर्थव्यवस्था और उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें समय-समय पर विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

  • वे दो बार साबुन और डिटर्जेंट के विकास परिषद के अध्यक्ष चुने गए
  • गुजरात डिटर्जेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बनाये गए
  • नई दिल्ली के लघु इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा उद्योग रत्न की उपाधि से विभूषित किये गए
  • उन्हें गुजरात के वाणिज्य और उद्योग चैंबर, अहमदाबाद, द्वारा सन 1990 में ‘उत्कृष्ट उद्योगपति’ के सम्मान से नवाज़ा गया
  • सन 1998 में गुजरात व्यवसायी पुरस्कार से सम्मानित किये गए
  • रोटरी इंटरनेशनल द्वारा कॉर्पोरेट गवर्नेंस में उत्कृष्टता पुरस्कार दिया गया
  • वर्ष 2001 में उन्हें फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय, फ्लोरिडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया