जन्म: 11 दिसम्बर 1935, ग्राम मिराती, बीरभूम जिला, ब्रिटिश भारत (आधुनिक पश्चिम बंगाल)
मृत्यु: 31 अगस्त 2020, दिल्ली
जन्म का नाम: प्रणव कुमार मुखर्जी
राजनीतिक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1969–86; 1989–2012)
पत्नी: शुभ्रा मुखर्जी (विवाह 1957; निधन 2015)
बच्चे: शर्मिष्ठा, अभिजीत, इन्द्रजीत
सम्मान: भारत रत्न (2019) पद्म विभूषण (2008)
कार्यक्षेत्र: राजनेता, भारत के तेरहवें राष्ट्रपति
प्रणव कुमार मुखर्जी भारत के तेरहवें राष्ट्रपति थे। वे एक वरिष्ठ नेता थे और अपने साठ साल से भी ज़्यादा राजनितिक करियर में अलग-अलग समय पर भारत सरकार के अनेक महत्वपूर्ण मंत्रालयों और पदों पर कार्य कर चुके थे। राष्ट्रपति बनने से पहले वे यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में केन्द्रीय वित्त मंत्री थे। राष्ट्रपति चुनाव में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के उम्मीदवार थे और उन्होंने उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पी.ए. संगमा को हराया और 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
भारत के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी की मदद से उन्होंने सन 1969 में राजनीति में प्रवेश किया जब वे कांग्रेस टिकट पर राज्य सभा के लिए चुने गए। धीरे-धीरे वे इंदिरा गाँधी के ख़ास बन गए और सन 1973 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल कर लिए गए। सन 1975-77 के आपातकाल के दौरान उनपर ज्यादती के आरोप भी लगे। कई मंत्रालयों में काम करने के अनुभव के बाद प्रणब 1982-84 तक देश के वित्त मंत्री रहे। सन 1980 से 1985 तक वे राज्य सभा में सदन के नेता रहे।
इंदिरा गाँधी की मौत के बाद राजीव गाँधी देश के प्रधानमंत्री बने जिसके बाद प्रणब मुख़र्जी हासिये पर आ गए क्योंकि इंदिरा गाँधी के बाद वे अपने आप को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे काबिल उम्मीदवार मानते थे। उनका राजनैतिक करियर नरसिम्हा राव सरकार में फिर पुनर्जीवित हुआ जब सन 1991 में उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया और फिर सन 1995 में देश का विदेश मंत्री। सोनिया गाँधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। सन 2004 से लेकर 2012 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में वे लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर रहे। प्रणव मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरष्कार, ‘भारत रत्न ‘ से सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन
प्रणब मुख़र्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिरती नामक स्थान पर एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रीय रहे और सन 1952 से 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद् के सदस्य रहे। वे आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी थे। प्रणब की मां का नाम राजलक्ष्मी था। उन्होंने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज (कोलकाता विश्वविद्यालय से सबद्ध) में पढ़ाई की और बाद में राजनीति शाष्त्र और इतिहास विषय में एम.ए. किया। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री भी हासिल की।
इसके उपरान्त उन्होंने डिप्टी अकाउंटेंट जनरल (पोस्ट और टेलीग्राफ) के कोलकाता कार्यालय में प्रवर लिपिक की नौकरी की। सन 1963 में उन्होंने दक्षिण 24 परगना जिले के विद्यानगर कॉलेज में राजनीति शाष्त्र पढ़ाना प्रारंभ कर दिया और ‘देशेर डाक’ नामक पत्र के साथ जुड़कर पत्रकार भी बन गए।
राजनीतिक जीवन
प्रणब मुख़र्जी का राजनितिक करियर सन 1969 में प्रारंभ हुआ जब उन्होंने वी.के. कृष्ण मेनन के चुनाव प्रचार (मिदनापुर लोकसभा सीट के लिए उप-चुनाव) का सफल प्रबंधन किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उनके प्रतिभा को पहचाना और उन्हें भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में शामिल कर जुलाई 1969 में राज्य सभा का सदस्य बना दिया। इसके बाद मुख़र्जी सन कई बार (1975, 1981, 1993 और 1999) राज्य सभा के लिए चुने गए।
धीरे-धीरे प्रणब मुख़र्जी इंदिरा गाँधी के चहेते बन गए और सन 1973 में केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल कर लिए गए। सन 1975-77 के आपातकाल के दौरान उनपर गैर-संविधानिक तरीकों का उपयोग करने के आरोप लगे और जनता पार्टी द्वारा गठित ‘शाह आयोग’ ने उन्हें दोषी भी पाया। बाद में प्रणब इन सब आरोपों से पाक-साफ़ निकल आये और सन 1982-84 में देश के वित्त मंत्री रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सरकार की वित्तीय दशा दुरुस्त करने में कुछ सफलता पायी। उन्ही के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह को रिज़र्व बैंक का गवर्नर बनाया गया।
सन 1980 में वे राज्य सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता बनाये गए। इस दौरान मुख़र्जी को सबसे शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री माना जाने लगा और प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में वे ही कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करते थे।
इंदिरा गाँधी के हत्या के बाद प्रणब मुख़र्जी को प्रधानमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था पर राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री बनते ही प्रणब को हासिये पर कर दिया गया। ऐसा माना जाता है की वे राजीव गांधी की समर्थक मण्डली के षड्यन्त्र का शिकार हुए जिसके बाद उन्हें मन्त्रिमणडल में भी शामिल नहीं किया गया।
इसके पश्चात उन्होंने कांग्रेस छोड़ अपने राजनीतिक दल ‘राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस’ का गठन किया पर सन 1989 में उन्होंने अपने दल का विलय कांग्रेस पार्टी में कर दिया। पी.वी. नरसिंह राव सरकार में उनका राजनीतिक कैरियर पुनर्जीवित हो उठा, जब उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया और सन 1995 में विदेश मन्त्री के तौर पर नियुक्त किया गया। उन्होंने नरसिंह राव मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया। सन 1997 में प्रणब को उत्कृष्ट सांसद चुना गया।
प्रणब मुख़र्जी को गाँधी परिवार का वफादार माना जाता है और सोनिया गाँधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। सन 1998-99 में जब सोनिया गाँधी कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं तब उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया।
सन 2004 मं प्रणब ने पहली बार लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और पश्चिम बंगाल के जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की। वे लोक सभा में पार्टी के नेता चुने गए और ऐसा माना जा रहा था कि सोनिया गाँधी के इनकार के बाद उन्हें ही प्रधानमंत्री बनाया जायेगा पर अटकलों के बीच मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना गया। सन 2004 से लेकर 2012 में राष्ट्रपति बनने तक प्रणब मुख़र्जी यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आये। इस दौरान वे देश के रक्षा, वित्त और विदेश मंत्री रहे। इसी दौरान मुख़र्जी कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधान दल के मुखिया भी रहे।
निजी जीवन
प्रणव मुख़र्जी का विवाह बाइस वर्ष की आयु में 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ था। उनके दो बेटे और एक बेटी – कुल तीन बच्चे हैं . उनकी पत्नी शुभ्रा मुख़र्जी का निधन 18 अगस्त 2015 को बीमारी के कारण हुआ।
प्रणब मुखर्जी ने कई कितावें भी लिखी थी जिनके प्रमुख हैं मिडटर्म पोल, बियोंड सरवाइवल, ऑफ द ट्रैक- सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस, इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ इंडियन इकोनॉमी, तथा चैलेंज बिफोर द नेशन।
वे हर वर्ष दुर्गा पूजा का त्योहार अपने पैतृक गांव मिरती (पश्चिम बंगाल) में ही मनाते थे। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हुए थे। भारत सरकार ने भी उन्हें पद्म विभूषण (देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान) से सम्मानित किया था। बूल्वरहैम्पटन और असम विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था । प्रणव मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरष्कार, ‘भारत रत्न ‘ से सम्मानित किया गया।
निधन
प्रणब मुखर्जी का निधन 31 अगस्त 2020 को दिल्ली के एक अस्पताल में हुआ. उन्हें 10 अगस्त को गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में सर्जरी की गई थी। उन्हें कोरोना भी हो गया तहत जिससे उनके फेफड़े में संक्रमण हो गया था.