जे. जयललिता

J. Jayalalithaa Biography in Hindi

जन्म: 24 फरवरी 1948, मंडीया, मैसूर राज्य

निधन: 5 दिसम्बर 2016, चेन्नई, तमिलनाडु

राजनीतिक दल: ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम

कार्य क्षेत्र: पूर्व अभिनेत्री, राजनेता

रोचक: 5 बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं

जयललिता जयराम ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की महासचिव तथा तमिलनाडु राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री थीं. वे उन कुछ ख़ास भूतपूर्व प्रतिष्ठित सुपरस्टार्स में से हैं जिन्होंने न सिर्फ सिनेमा के क्षेत्र में प्रतिष्ठा अर्जित किया बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में भी महत्वपूर्ण रहे हैं। राजनीति में आने से पहले वे एक लोकप्रिय अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ फिल्मों के साथ-साथ एक हिंदी और एक अंग्रेजी फिल्म में भी काम किया था।

सन 1989 में तमिल नाडु विधानसभा में विपक्ष की नेता बनने वाली वे प्रथम महिला थीं। राजनीति में कदम रखने के बाद और अपनी मृत्यु से पहले तक तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता का ठोस नियंत्रण रहा। वे सन 1991 में वे पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं और सन 2011 में जनता ने तीसरी बार जयललिता को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री चुना। उन्होंने राज्य में कई कल्याणकारी परियोजनाए शुरू की। अपने शुरूआती कार्यकाल में जयललिता ने जल संग्रहण परियोजना और औद्योगिक क्षेत्र के विकास की योजनाओं जैसे विकास के कार्य किए।

अपने फ़िल्मी कैरियर में उन्होंने सन 1965 से सन 1972 के दौर में ज्यादातर फिल्में एम.जी. रामचंद्रन के साथ की और सन 1982 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भी एम जी रामचंद्रन के साथ ही की। सन 1984 में उन्हें तमिलनाडु से राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद जयललिता ने खुद को एम.जी. रामचंद्रन का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। उनके समर्थक उन्हें अम्मा (मां) और कभी-कभी पुरातची तलाईवी (‘क्रांतिकारी नेता’) कहकर बुलाते थे.

अपने राजनैतिक जीवन में जयललिता भ्रष्टाचार के मामलों में विवादों में भी रहीं। भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें कोर्ट से सजा भी हुई।

5 दिसम्बर 2016 को लम्बी बीमारी के बाद जे. जयललिता का निधन चेन्नई के एक निजी अस्पताल में हो गया.

जयललिता जयराम
स्रोत: www.deccanchronicle.com

प्रारंभिक जीवन

कोमलवल्ली, जिन्हें हम जयललिता के नाम से भी जानते है, का जन्म 24 फरवरी 1948 को मैसूर में वेदावल्ली और जयराम के घर हुआ था। उनके परिवार का सम्बन्ध मैसूर के राजसी  खानदान से रहा है। उनके दादाजी मैसूर दरबार में शाही चिकित्सक थे और उन्होंने अपने परिवारजनो के नाम के प्रारंभ में ‘जय’ शब्द लगाना प्रचलित किया ताकि लोगों को यह ज्ञात हो कि उनका सामाजिक सम्बन्ध मैसूर के राजा जयचमारराजेंद्र वोडेयार से है। जयललिता जब मात्र दो वर्ष की थीं तब उनके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद वे अपनी माता और नाना-नानी के साथ रहने बंगलुरु आ गयीं। बंगलुरु में जयललिता ने कुछ साल तक बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल में पढाई की और फिर उनकी माता जी फिल्मो में नसीब आजमाने चेन्नई चली गयीं। चेन्नई आने के बाद उन्होंने चर्च पार्क प्रेजेंटेशन कान्वेंट और स्टेला मारिस कोलेज के शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही जयललिता तेजस्वी विद्यार्थी थी और वे कानून की पढाई करना चाहती थी लेकिन नसीब में कुछ और ही लिखा था। परिवार की आर्थिक परेशानियों के कारण उनकी माताजी ने उन्हें फिल्मो में काम करने का सुझाव दिया। महज 15 साल की आयु में जयललिता ने अपने आप को प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर लिया।

फ़िल्मी कैरियर

जयललिता ने अपने अभिनय की शुरुआत शंकर वी गिरी की अंग्रेजी फिल्म “अपिस्टल” से की थी पर इस फिल्म से उन्हें कोई पहचान नहीं मिली। सन 1964 में जयललिता की पहली कन्नड़ फिल्म ‘चिन्नाडा गोम्बे’ प्रदर्शित हुई। इस फिल्म की विवेचको ने काफी सराहना की और जनता ने भी इसे बेहद पसंद किया। एक साल के बाद उन्होंने तमिल फिल्म ‘वेंनिरा अडाई’ में काम किया और उसके तुरंत बाद उन्होंने तेलुगु सिनेमा में भी प्रवेश किया। अगले कुछ सालों में तमिल फिल्मो में अपने प्रभावशाली अभिनय के कारण वे एक प्रतिष्ठित कलाकार बन गयीं। सिनेमा के परदे पर एम.जी. रामचंद्रन के साथ उनकी जोड़ी काफी सफल रही और दर्शको ने भी इस जोड़ी को बेहद पसंद किया। उनके फ़िल्मी सफ़र के आखिरी वर्षो में उन्होंने जयशंकर, रविचंद्रन और शिवाजी गणेशन जैसे नामी अभिनेताओ के साथ भी काम किया। सन 1968 में उन्होंने हिंदी फिल्म ‘इज्ज़त’ में काम किया जिसमें धर्मेन्द्र मुख्य अभिनेता थे। 1980 के दशक में उनका फ़िल्मी करिअर थोड़ा धीमा हो गया। उनकी आखिरी फिल्म थी ‘नाधियाई ठेडी वन्धा कदल’ जिसके बाद उन्होंने राजनीति से जुड़ने का फैसला किया।

राजनितिक जीवन

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (ए.आई.ए.डी.एम.के.) के संस्थापक एम्. जी. रामचंद्रन ने उन्हें प्रचार सचिव नियुक्त किया और चार वर्ष बाद सन 1984 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया। कुछ ही समय में वे ए.आई.ए.डी.एम.के. की एक सक्रिय सदस्य बन गयीं। उन्हें एम.जी.आर. का राजनैतिक साथी माना जाने लगा और प्रसार माध्यमो में भी उन्हें ए.आई.ए.डी.एम.के. के उत्तराधिकारी के रूप में दिखाया गया। जब एम.जी. रामचंद्रन मुख्यमंत्री बने तो जयललिता को पार्टी के महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गयी। उनकी मृत्यु के बाद कुछ सदस्यों ने जानकी रामचंद्रन को ए.आई.ए.डी.एम.के. का उत्तराधिकारी बनाना चाहा और इस कारण से ए.आई.ए.डी.एम.के. दो हिस्सों में बट गया। एक गुट जयललिता को समर्थन दे रहा था और दूसरा गुट जानकी रामचंद्रन को। सन 1988 में पार्टी को भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत निष्काषित कर दिया गया। सन 1989 में ए.आई.ए.डी.एम.के. फिर से संगठित हो गया और जयललिता को पार्टी का प्रमुख बनाया गया। उसके पश्चात भ्रष्टाचार के कई आरोपों और विवादों के बावजूद जयललिता ने 1991, 2002 और 2011 में विधानसभा चुनाव जीते।

राजनैतिक जीवन के दौरान जयललिता पर सरकारी पूंजी के गबन, गैर कानूनी ढंग से भूमि अधिग्रहण और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे हैं। उन्हें ‘आय से अधिक संपत्ति’ के एक मामले में 27 सितम्बर 2014 को सजा भी हुई और मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 11 मई 2015 को उन्हें बरी कर दिया जिसके बाद वे पुनः तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बन गयीं।

निधन

5 दिसम्बर 2016 को चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में रात 11:30 बजे जयललिता का निधन हो गया। वे 22 सितंबर से इसी अस्पताल में भर्ती थीं. उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद आईसीयू में भर्ती कराया गया था। मृत्यु के बाद उनके पार्थीव शरीर को जलाने के बजाए दफ़नाया गया. ऐसा इसलिए किया गया क्यूंकि वे ‘द्रविड़ आंदोलन’ से जुड़ी थीं और यह आंदोलन हिंदू धर्म के किसी भी परंपरा और रस्म में यक़ीन नहीं रखता। इनके राजनीतिक गुरु एम जी आर को भी उनकी मौत के बाद दफ़नाया गया था। उनकी क़ब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के शीर्ष नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी क़ब्र है.

पुरुस्कार 

  • फिल्म  ‘पत्तिकादा पत्तानमा’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ तामिल अभिनेत्री का पुरस्कार
  • फिल्म ‘श्री कृष्णा सत्या’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ तेलुगु अभिनेत्री का पुरस्कार
  • फिल्म ‘सुर्यकंथी’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ तामिल अभिनेत्री का पुरस्कार
  • तमिल नाडू  सरकार की ओर से कलैममानी पुरस्कार
  • मद्रास विश्व विद्यालय की तरफ से साहित्य में मानद डॉक्टरेट की उपाधि
  • डॉ एमजीआर मेडिकल विश्व विद्यालय, तमिल नाडू ने विज्ञान में मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की
  • तमिल नाडू कृषि विश्व विद्यालय ने विज्ञान में मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की
  • भार्थिदासन विश्व विद्यालय ने साहित्य में डॉक्टर की उपाधि दी
  • डॉ आंबेडकर कानून विश्व विद्यालय ने कानून में मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी

टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)

  • 1948: मैसूर में 24  फरवरी को जयललिता का जन्म
  • 1961: एपिस्टल फिल्म से फ़िल्मी करियर की शुरुआत
  • 1964: पहली बार कन्नड़ फिल्म में पदार्पण
  • 1965: जयललिता ने अपने तमिल फिल्म करिएर की शुरुआत की
  • 1972: फिल्म ‘पत्तिकादा पत्तानमा’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार
  • 1980: एमजीआर के द्वारा प्रचार सचिव चुनी गई
  • 1984: राज्यसभा में नामांकन
  • 1989: विधानसभा चुनाव में जीत
  • 1991: पहली बार मुख्यमंत्री बनी
  • 2002: जयललिता दूसरी बार विधान सभा चुनाव जीती
  • 2011: विधान सभा चुनाव जीतकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं